श्री प्रेमानंद जी महाराज - premanand ji maharaj pravachan

श्री प्रेमानंद जी महाराज- क्या सांसारिक सुख चाहने वाले कभी श्री जी को पा सकते हैं? चौंकाने वाला सच जानें

राज जी पटना से एक प्रश्न – श्री श्री भगवान स्वरुप श्री प्रेमानंद जी महाराज से करते है

  1. श्री हरिवंश महाराज जी, महाराज जी अगर सांसारिक सफलता और भोगों की इच्छा है तो क्या हमें श्री जी की प्राप्ति हो सकती है?

जाएगी क्योंकि पहले कामना की पूर्ति होगी और फिरभगवत प्राप्ति की लालसा जागृत हो जाएगी। अब इसके लिए हो सकता है कई जन्म लेने पड़े। यह ऐसा हो सकता है, जब तक इच्छाओं का त्याग नहीं होगा तब तक भगवत मिलन की लालसा नहीं होगी तब तक श्री जी की प्राप्ति कैसे हो जाएगी?


लेख शुरू करने से पहले आपसे अनुरुध है की आप 108 बार श्री राधा नाम का जप करे तभी आगे लेख को पढ़े |

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यहाँ पर सिर्फ 50 बार श्री राधा नाम लिखा हुवा है लेकिन आपको 108 बार श्री राधा जी का नाम जप करना है|



भगवन स्वरुप श्री प्रेमानंद जी महाराज कहते है

राज जी आपका प्रश्न बिलकुल सही है सांसारिक सफलता जब तक नहीं मिलती है तब तक भगवान प्राप्ति का लालसा मन में कभी नहीं आती| जब आप संसार के सुख को यह सफलता को प्राप्त कर लेते है और उसके पश्चात करने के लिए कुछ भी शेष नहीं बचता है, तब हमें भगवान प्राप्ति का विचार मन में आता है |

लेकिन मन लेते है की सांसरिक सफलता पाने के पश्चात ही सही कभी मन में भगवन प्राप्ति का विचार मन में आया है तो कैसे आप भगवन प्राप्ति कर सकते है|

अगर आप भजन करोगे, श्री राधा नाम का जप करोगे, राधा जी का पाठ करोगे, सत्संग सुनोगे और भगवान से याचना करोगे कि हमारी इस भोग इच्छा को पूर्ण कर दो तो भगवान भोग इच्छा को नष्ट भी कर सकते हैं और पूर्ण भी कर सकते हैं। अगर पूर्ण कर दिया और आपको उन भोग इच्छा से घृणा हो जाएगी तो बहुत जल्दी भगवान प्राप्ति की लालसा जागृत हो जाएगी।

अगर भोग भोगने में मन राजी हो गया तो फिर जन्म ज्यादा लग सकते हैं। पर भगवत प्राप्ति दुर्लभ नहीं है। दुर्लभ है संसार सागर से हमारा मन ऊब जाना। भगवान की लालसा जागृत हो जाना। संसार झूठा लगने लगना।

यहां कहीं प्रेम है। यहां कहीं सुख है। मुझे तो ऐसा नहीं लगता।श्री प्रेमानंद जी महाराज

आपके मन में यह बात चलने लगे की यहां कहां सुख है?

स्वार्थ का केवल खेल चल रहा है। स्वार्थ के सिवा कुछ भी नहीं। प्रेम तो यहां है ही नहीं। तो यहां जो हम भोग चाहते हैं वो क्या हो सकते हैं? अच्छा मकान बन जाए। हमें पति अच्छा मिल जाए या पत्नी अच्छी मिल जाए, धन वैभव हो, गाड़ी हो, बस यही आपके मन में चलेगा। इससे अलग तो हो नहीं सकती।

क्योंकी ? – यह सब छूट जाने वाली वस्तुएं है। अगर अभी आपका शरीर छूट जाता है तो सब छूट गया। फिर मारा मांगना किस काम में रहा?

हमें भगवान से मांगना भी नहीं आता। हम भगवान् से सिर्फ ओर सिर्फ नश्वर वस्तुएं मांगते हैं। और यदि हम कहीं श्री जी भगवान् की मांग कर ले तो ये सब अपने आप मिल जाएगा और श्री जी भी मिल जाएंगे।

अगर हम श्री जी की चाहत करें जैसे पारस मणि है उसको स्पर्श करा दो लोहे में तो सोना बना देती है अब एक तरफ 5 किलो सोना रखा हो और एक तरफ छोटी सी पारस मणि रखी हो और आपसे कहा जाए आप क्या लोगे तो आप क्या लोगे पारस मणि यह फिर 5 किलो सोना |

आप सब सोचेंगे की 5 किलो सोना लेकर क्या होगा अगर मै पारस मणि ले लू तो 50 किलो 500 किलो पांच 5000 किलो सोना बना सकता हूं क्योंकि ये पारस मणि है।

ऐसे ही संसार के भोग होते है – छुद्र, थोड़े से अल्प सुख देने वाले है लेकिन सुख तो पूरी की पूरी समुन्द्र के भाती है, भगवान एक तरफ है और एक तरफ भोग सामग्री है तो हमें किसका चयन करना चाहिए | यह आप कमेंट में लिख कर जरुर बताए|

भगवान के मिल जाने पर सब कुछ मिल जाएगा जैसे हम भगवान से कुछ मांगते नहीं है कभी भी तुम्हारी गरज हो तुम भगवान को महलों में रखो चाहे झोपड़ी में वास दो। भगवान् तो इतने बड़े हैं, इतने महान है, इतने सुख दाता हैं कि जब तुम भगवान के वैभव देखोगे। तो कुछ भी इच्छा ही नहीं होगी क्युकी वे बिना मांगे सबको देते है तुमे भी देंगे|

अगर हम भगवान से प्यार करें और भगवान का नाम जप करें और कुछ ना मांगे तो वह इतना दे देंगे कि हम आनंद में डूब जाएंगे। – श्री प्रेमानंद जी महाराज

Sri Premanand ji maharaj के सुवाच्य
Sri Premanand ji maharaj

SRI PREMANAND JI MAHARAJ – जैसे एक गरीब आदमी को कहो बोलो आप क्या चाहोगे?

जितना तुम आज जो मांगोगे दे देंगे। तो उसकी जो बौद्धिक धरा है वह बस इतना ही सोच पाएगी कि अगर एक साल का जानवरों का चारा मिल जाए और एक साल का मुझे भोजन मिल जाए वो बस इतनी सोच रखता है इसके आगे की वो नहीं कह पाएगा क्योंकि उसकी सोच इतनी सी है |

ऐसे ही भगवान के सामने अगर हम मांग करते हैं तो क्या मांग सकते हैं एक बढ़िया मकान दे दो थोड़ा सा यह दे दो थोड़ा सा ये दे दो, ऐसा ही उस गरीब आदमी ने किया चक्रवर्ती सम्राट के कहने पर उस गरीब आदमी ने भैंस के लिए भूसा अपने लिए अन्न और लाख दो लाख रुपया |

अरे चक्रवर्ती सम्राट नगर का नगर दे सकता था वो पूरी जिंदगी का निर्वाह कर सकता था | लेकिन हम छुद्र की बाते में उलझे है जिसका हमारे जीवन में सिर्फ अल्प समय के लिए महत्व है हम उसे पकड़ कर बेठे है | इससे तो यह पता चलता है की हमें मांगना भी नहीं आता है|

राज जी पटना से कहते है की तो हमें करना चाहिए ? महराज जी,

परम पूज्य श्री प्रेमानंद महाराज कहते है

हम श्री जी का भजन करें श्री जी का नाम जप करें और श्री जी के ऊपर सब कुछ छोड़ दें कि आपको जैसे चलाना हो भगवान् वैसे चलाए मैं वैसे मैं ही राजी रहूँगा या रहूंगी| जैसे आप राजी है जोई जोई प्यारो करें सोई मोहि भावे यानि भगवान् आप जैसे चलाओगे मैं चलने को तेयार हु बस बात खत्म, फिर तो भगवान आपको मालामाल कर देंगे।

मान लो वह गरीब खुद से दिमाग लगाके बिना कुछ मांगे चक्रवती सम्राट के कहता महाराज आप जो देना चाहते है दे दीजिये महाराज |
तो राजा क्या उसे भूसा देगा क्या, तो ऐसा नहीं होगा क्युकी सम्राट के पास इतना धन है की वोह कभी इन छोटे छोटे चीजो के बारे में सोचेगा ही नहीं, सम्राट ऐसा सोच भी नहीं सकता है | अगर सम्राट देगा तो वह लाखो और करोडो देगा क्युकी उसकी सोच बड़ी है | कभी भी छोटा दे नहीं सकता क्युकी उसका सोच बड़ा है | – श्री प्रेमानंद जी महाराज

मान लेते है जैसे एक गरीब आदमी किसी अपने रिश्तेदार को कितना रुपया दे देगा ₹1 ₹100 ₹50 ₹1000 या 10,000 इसके आगे वो नहीं बढ़ सकता लेकिन एक उदार आदमी और एक जिसके पास अपार धन हो वह जब देना है वो करोड़ों को सोचेगा वो नीचे उतरेगा ही नहीं क्योंकि उसकी स्थिति ऐसी है वो अपनी स्थिति से नीचे उतर के दे ही नहीं सकता वो अपनी स्थिति से देगा तो भगवान की स्थिति से हमें जब मिलेगा तब हम निहाल हो जाएंगे |

तो मुझे चाहिए कि भगवान के ऊपर छोड़ देना चाहिए तो उससे दोनों काम हो जाएंगे भगवान भी मिल जाएंगे और भोग भी मिल जाएंगे।


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