जब हम किसी से प्यार करते हैं तो क्या होता है? क्या वह हमेशा हमारी सुनता है? क्या हमें सब कुछ मिलता है? नहीं! लेकिन सच्चा प्यार तब भी वही रहता है। आइए समझते हैं कि पति-पत्नी का रिश्ता कैसा होना चाहिए। यह बातें श्री प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज (जिन्हें प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं) ने अपने प्रवचन में बताई हैं।
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पत्नी हमें परेशान क्यों करती है?
कई लोग कहते हैं – मेरी पत्नी झूठ बोलती है, वह मेरी बात नहीं सुनती, वह मुझे दुख देती है।

प्रेमानंद जी महाराज क्या कहते हैं|
प्रेमानंद जी कहते हैं कि यह सब कुछ हमारे पिछले जन्मों के कर्मों का फल है। आपकी पत्नी आपको परेशान करने के लिए नहीं आई है। वह तो आपके कर्मों को खत्म करने के लिए आई है।
आसान भाषा में: जैसे कोई किसी से कर्ज लेता है तो उसे चुकाना पड़ता है। वैसे ही, जो कर्म हमने किए हैं, उन्हें भोगना ही पड़ता है। आपकी पत्नी आपके कर्मों को भोगाने वाली है।
सवाल 2: तो क्या मैं अपनी पत्नी को प्यार दूं?
अगर मेरी पत्नी मुझसे बुरा व्यवहार करती है, बुरा बोलती है, तो क्या मैं उसे प्यार दूं
प्रेमानंद जी महाराज का जवाब
“हाँ! बिल्कुल।”
“भले ही तुम्हारी पत्नी झूठ बोले, भले ही वह तुम्हें दुख दे, भले ही वह तुम्हारी बात न सुने – तुम फिर भी उसे प्यार देना। तुम्हारे प्यार में कोई कमी नहीं आनी चाहिए।”
यह उसी तरह है जैसे – माँ अपने बुरे बेटे को भी प्यार करती है। क्यों? क्योंकि असली प्यार व्यवहार पर निर्भर नहीं करता।
सवाल 3: यह प्यार कैसा है? महाराज जी–
क्या पति-पत्नी का प्यार सच्चा है?
प्रेमानंद जी कहते हैं
संसार में असली प्यार नहीं होता है।
सरल शब्दों में:
- संसार का प्यार = मतलब का प्यार
- संसार का प्यार = जब तक फायदा है, तब तक प्यार
- संसार का प्यार = धोखे का प्यार
उदाहरण: जब आप किसी से कहते हो – “मैं तुम्हें प्यार करता हूँ तो तुम भी मुझे वैसे ही प्यार दो” – यह असली प्यार नहीं है। यह सौदेबाजी है।
सच्चा प्यार तो:
- सच्चा प्यार = बिना किसी की अपेक्षा के
- सच्चा प्यार = सिर्फ भगवान से
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सवाल 4: तो क्या मैं अपनी पत्नी से झूठा प्यार करूँ?
क्या इस संसार में रहकर अपनी पत्नी से प्रेम का नाटक करना – क्या ये सही महाराज जी?

प्रेमानंद जी महाराज का उत्तर
हाँ, लेकिन यह नाटक बिल्कुल सच्चे मन से करना है।
“संसार एक बहुत बड़ा नाटक है। इस नाटक में हमें अलग-अलग भूमिकाएं दी गई हैं – कहीं पति की भूमिका, कहीं पत्नी की, कहीं पिता की, कहीं माँ की। तुम्हें अपनी भूमिका को बिल्कुल सही तरीके से निभाना है।”
जैसे एक अच्छा अभिनेता फिल्म में पूरी निष्ठा से अपना रोल करता है, वैसे ही तुम्हें अपनी पत्नी की भूमिका को सही तरीके से निभानी है।
क्या है फायदा?
- अगर तुम पत्नी की भूमिका को सही करोगे
- अगर तुम पत्नी को प्रेम दोगे (भले ही वह नाटक हो)
- अगर तुम उसे सुविधा दोगे
- तो भगवान खुश हो जाएंगे

सवाल 5: गांधारी की कहानी क्या है?
श्री प्रेमानंद जी महाराज कहते है| गांधारी की कहानी महाभारत की कहानी से जुडी हुई है|
कौन थी गांधारी?
गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से होने वाला था। धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे (उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता था)
जब गांधारी को पता चला कि मेरा पति अंधा है, तो उसने तुरंत अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली। क्योंकि गांधारी ने सोचा – “अगर मेरे पति को दुनिया नहीं दिख रही, तो मैं भी दुनिया को नहीं देखूँगी। और यही पत्नी का सच्चा प्रेम और समर्पण है।
प्रेमानंद जी कहते हैं:
“यह प्रेम है! यह पतिव्रता है! यह आध्यात्मिकता है! गांधारी ने अपने पति के साथ पूरी निष्ठा से अपनी भूमिका निभाई।”
सवाल 6: क्या मेरा पति या पत्नी मेरी बातें नहीं सुनेगा?
दूसरे के कर्मों के लिए जिम्मेदारी
यहां महत्वपूर्ण बात:
प्रेमानंद जी कहते हैं:
“तुम्हारे पति का जो व्यवहार है, उसके बारे में तुम चिंता मत करो। वह उसका कर्म है, वह उसका फल भोगेगा। तुम सिर्फ अपने कर्तव्य के बारे में सोचो।”
आसान शब्दों में:
- तुम्हें अपना काम सही तरीके से करना है
- तुम्हें अपनी भूमिका ठीक से निभानी है
- दूसरे का काम, दूसरे का जिम्मेदारी है
उदाहरण:
जैसे एक नाटक में:
- अगर तुम अपनी भूमिका गलत करो, तो दर्शक तुम्हें दोष देंगे
- अगर दूसरा अभिनेता गलत भूमिका करे, तो निर्देशक उसे दोष देगा
- तुम उसके बारे में चिंता मत करो
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सवाल 7: तो मुझे क्या करना चाहिए?
पति की जिम्मेदारी
प्रेमानंद जी महाराज सीधे कहते हैं:
“अगर तुम पति हो, तो यह याद रखो:*
1. अपनी पत्नी को प्यार दो
- भले ही वह खराब हो
- भले ही वह बुरा करे
- भले ही वह तुम्हें दुख दे
2. अपनी पत्नी को सुविधा दो
- उसे खाना दो, कपड़े दो और घर में सपोर्ट करो|
- उसे सम्मान दो
- उसे समझाओ की गलत चीजों का नतीजा हमेशा गलत ही होता है|
3. अपने कर्तव्य निभाओ
- अपने कर्तव्य पर ध्यान दो
- दूसरे के व्यवहार पर चिंता मत करो
4. भगवान को याद रखो
- सब कुछ भगवान के हाथ में उनके हाथ में छोड़ दो|
- भगवान सब कुछ देख रहे हैं|

सवाल 8: क्या यह बहुत मुश्किल है?
प्रेमानंद जी का उत्तर:
हाँ, यह मुश्किल है। लेकिन यह आध्यात्मिकता का सबसे सरल रास्ता भी है।
प्रेमानंद जी कहते हैं:
“आजकल लोगों में सहनशीलता नहीं है। थोड़ी सी बात में लड़ जाते हैं। बुरा बोलने लगते हैं। हिंसा करने लगते हैं।”
समस्या क्या है?
- आज के लोगों में धैर्य नहीं रखते है|
- आज के लोगों में समझ कम हो गयी है|
- आज के लोगों में प्रेम नहीं है सिर्फ वासना भरा पड़ा है|
समाधान क्या है?
“अगर हम सहनशील होना सीख जाएं, तो हम:
- अपने परिवार को बचा सकते हैं
- अपने आप को बचा सकते हैं
- बड़ी विपत्तियों से बच सकते हैं”
सवाल 9: असली प्रेम किसे कहते हैं?
भगवान से ही सच्चा प्रेम
प्रेमानंद जी कहते हैं:
संसार में किसी को पूरे मन से प्यार मत करो। क्यों?
क्योंकि:
- सभी मर जाएंगे
- शरीर नष्ट हो जाएगा
- फिर तुम अकेले रह जाओगे
- फिर तुम्हारा सब प्यार बेकार हो जाएगा
तो क्या करना चाहिए?
असली प्यार भगवान से करो।
प्रेमानंद जी कहते हैं:
“प्रेम का नाटक करो संसार में। लेकिन असली प्रेम तो भगवान से ही करो। भगवान कभी नहीं मरेंगे। भगवान हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे।”
मैं अभी क्या करू? महाराज जी |
जीवन को समझना
प्रेमानंद जी की सीख का सार:
1. यह समझो कि संसार नाटक है
- यह फिल्म की तरह है
- तुम अभिनेता हो
- भगवान निर्देशक है
2. अपनी भूमिका ठीक से करो
- अगर पति हो, तो अच्छा पति बनो
- अगर पत्नी हो, तो अच्छी पत्नी बनो
- पूरी निष्ठा से करो
3. दूसरे की चिंता मत करो
- दूसरे का व्यवहार उसका कर्म है
- दूसरे के कर्मों का फल भगवान देंगे
- तुम सिर्फ अपना कर्तव्य निभाओ
4. भगवान को याद रखो
- भगवान हर चीज देख रहे हैं
- भगवान तुम्हें सही रास्ता दिखाएंगे
- भगवान तुम्हारा साथ हमेशा होगा
5. असली प्रेम भगवान से करो
- संसार का प्रेम अस्थाई है
- भगवान का प्रेम अनंत है
- भगवान ही तुम्हारा सच्चा प्रेमी है
निष्कर्ष: प्रेमानंद जी का अंतिम संदेश
प्रेमानंद जी कहते हैं:
“अगर तुम इन सब बातों को समझ जाओ, तो:
✅ तुम संसार से ऊपर उठ जाओगे
✅ तुम मुक्त हो जाओगे
✅ तुम आध्यात्मिक हो जाओगे
✅ तुम भगवान के करीब पहुँच जाओगे”
याद रखो:
- जीवन एक परीक्षा है
- प्रेम एक कर्तव्य है
- समर्पण एक ताकत है
- भगवान सब कुछ जानते हैं
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इसलिए:
अपनी पत्नी को प्यार करो। अपनी पत्नी की सेवा करो। अपना कर्तव्य निभाओ। और भगवान को याद रखो।
यही है प्रेमानंद जी महाराज का दिव्य संदेश।



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